भारत की सबसे लंबी दीवार, जानें क्या है इतिहास

भारत को राजा-महाराजाओं का गढ़ कहा जाता है, जहां से शुरू से ही कई साम्राज्यों का राज रहा। समय के साथ-साथ भारत के अलग-अलग प्रांतों में में राजाओं ने अपनी सत्ता को काबिज किया और इतिहास के पन्नों में हमेशा-हमेशा के लिए अपना नाम दर्ज कराया।

आज भी हम राजा-महाराजाओं के इन किलों को देख सकते हैं। आपने चीन की The Great Wall of China के बारे में जरूर सुना होगा, जो कि दुनिया की सबसे बड़ी दीवार कही जाती है। हालांकि, क्या आपको पता है कि दुनिया की एक और सबसे लंबी दीवार भारत में ही मौजूद है।

खास बात यह है कि यह दीवार एक किले की घेराबंदी के लिए बनाई गई थी, जिसका नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों के साथ दर्ज है। इस लेख के माध्यम से हम भारत के उस किले के बारे में जानेंगे, जिसकी दीवार 36 किलोमीटर तक लंबी है।

 

किस किले की दीवार है सबसे लंबी

भारत के राजस्थान राज्य में स्थित कुंभलगढ़ किले की दीवार सबसे लंबी है। यह किला उदयपुर से 80 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों पर बना हुआ है, जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के राजा राणा कुंभा द्वारा किया गया था।

हालांकि, इतिहासकार मानते हैं कि इस किले का निर्माण तीसरी शताब्दी में मौर्य साम्राज्य के राजा रहे सम्राट अशोक के पोते संप्राती द्वारा किया गया था। बाद में इस किले का निर्माण राणा कुंभा ने कराया। आपको बता दें कि मुगलों से लोहा लेने वाले मेवाड़ के महाराणा प्रताप का जन्म इसी किले में हुआ था।

 

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15 फीट चौड़ी है दीवार

राणा कुंभा ने इस किला का निर्माण इसलिए कराया था, जिससे मेवाड़ के राजा किसी संकट की स्थिति में यहा पर शरण ले सके। ऐसे में इस किले की चारो तरफ 36 किलोमीटर लंबी दीवारें बनाई गई थी, जिनकी चौड़ाई 15 फीट तक थी।

यह इतनी चौड़ाई थी कि एक बार में इस दीवार पर 7 से 8 घोड़े गश्त करने के लिए चल सकते थे। इस दीवार का निर्माण इस प्रकार किया गया था, जिससे दुश्मन के आने पर सैनिक बड़े छेदों से तीर चला सके और छोटे छेदों से गर्म पानी, तेल या तेजाब फेंक सके, जिससे कोई भी दुश्मन किले की दीवार पर न चढ़ सके। 

 

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UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में है शामिल 

राणा कुंभा का यह किला एक अभेद किला रहा है, जिसे कई बार आक्रमणकारियों ने भेदने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। बाद में अकबर के शासक रहे शाहबाज खान ने इस किले पर नियंत्रण किया और इसके बाद 1818 में यहां पर मराठा साम्राज्य का राज हो गया।

इसके बाद ब्रिटिश ने इस किले को अपने कब्जे में ले लिया। वहीं, इस किले को यूनेस्को ने राजस्थान के पांच अन्य किलों के साथ छठे किले के रूप में विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया है। 

 

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Source: newstars.edu.vn

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